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करौली सरकार उर्फ संतोष सिंह भदौरिया की लंबी-चौड़ी है क्रिमिनलहिस्ट्री 1994 में हुई थी NSA की कार्यवाही।

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कानपुर -बिधनू स्थित लवकुश आश्रम के करौली सरकार बाबा उर्फ डॉ. संतोष सिंह भदौरिया के खिलाफ नोएडा के डॉक्टर सिद्धार्थ चौधरी ने उनके चमत्कार का विरोध करने पर नाक की हड्डी तोड़ने व सिर फोड़ने का आरोप लगाकर पुलिस कमिश्नर के आदेश पर बाबा व उनके सेवादारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के बाद जहाँ करौली सरकार उर्फ सतोष सिंह भदौरिया ने विज्ञप्ति जारी कर खुद को निर्दोष बताया है उनका कहना है कि उनके आश्रम में ऐसी कोई घटना घटित ही नही हुई और वो पुलिस जाँच के लिए तैयार है वही नोएडा से आए डॉ. सिद्धार्थ चौधरी से मारपीट के मामले में आरोपी करौली बाबा डॉ. संतोष सिंह भदौरिया का आपराधिक इतिहास रहा है। वर्ष 1992-95 के बीच हत्या, सेवन सीएलए समेत कई आपराधिक मामले उस पर दर्ज हुए थे। इसके बाद पुलिस से बचने के लिए वह किसानों का नेता बनकर जमीनों पर अवैध कब्जे करने लगा। यहां तक की कोतवाली थाना क्षेत्र में एक चर्च की जमीन का एग्रिमेंट कराकर रुपये तक हड़पने का आरोप भी है। फिर बिधनू में भूदान पट्टा पर सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर कब्जा कर आश्रम खोल लिया। यू-ट्यूब पर मंत्र से समस्याएं हल करने के वीडियो अपलोड करने लगा। उसके करौली बाबा नाम से बने यू-ट्यूटब चैनल में 93 हजार सब्सक्राइबर हैं।

वर्ष 1994 में हुई थी एनएसए की कार्रवाई
संतोष भदौरिया के खिलाफ तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश सिंह के आदेश पर 14 अगस्त 1994 को एनएसए की कार्रवाई हुई थी। जिसकी संख्या 14/जे/ए एनएसए 1994 है। संतोष एनएसए हटाने के लिए गृह सचिव को पत्र भेजा था। पत्र में संतोष ने बताया था कि वह वर्ष 1989 से किसान यूनियन में कार्यकर्ता था। वह भरतीय किसान यूनियन में जिलाध्यक्ष भी था।

1992 में फजलगंज में हुई हत्या में आया था नाम।

चार अगस्त 1992 में फजलगंज थाना क्षेत्र में शास्त्रीनगर निवासी अयोध्या प्रसाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मामले में राज कुमार ने संतोष भदौरिया व अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। उस दौरान उसका नाम प्रकाश में आया था। जिसका अपराध संख्या 218 है। मामले में पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था। 27 मार्च 1993 को संतोष भदौरिया को जमानत पर रिहा कर दिया गया था। वहीं वर्ष 7 अगस्त 1994 को तत्कालीन कोतवाली प्रभारी वेद पाल सिंह ने संतोष भदौरिया व उनके साथियों के खिलाफ गाली गलौज, मारपीट, क्रिमिनल एक्ट की धारा में एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद 12 अगस्त 1994 को महाराजपुर थाने में तैनात तत्कालीन कांस्टेबल सत्य नारायण व संतोष कुमार सिंह ने चकेरी थाने में सरकारी कार्य में बाधा डालना, मारपीट करने समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके अलावा बर्रा में भी उसके खिलाफ वर्ष 1995 में एफआईआर दर्ज हुई थी। जिसका अपराध संख्या 443 है।

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