करीबियों को ट‍िकट न म‍िलने से नाराज थे आरपीएन स‍िंंह, स्‍वामी प्रसाद मौर्य के ख‍िलाफ ठोकेंगे ताल

गोरखपुर। कांग्रेस से त्‍यागपत्र देने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता, पूर्व सांसद व वर्तमान में कांग्रेस झारखंड के प्रभारी आरपीएन स‍िंह अपने करीबियों को ट‍िकट न द‍िए जाने से नाराज थे। बीते कई द‍िनों से यह कयास लगाया जा रहा था क‍ि आरपीएन स‍िंह कांग्रेस छोड़ सकते हैं। मंगलवार को आरपीएन स‍िंह ने कांग्रेस अध्‍यक्ष सोन‍िया गांधी को अपना त्‍यागपत्र भेज द‍िया।

स्‍वामी प्रसाद मौर्य से होगा मुकाबला 

माना जा रहा है क‍ि आरपीएन स‍िंह भाजपा में शाम‍िल होंगे और पडरौना विधानसभा सीट से भाजपा से चुनाव लड़ेंगे। अभी इस सीट से स्वामी प्रसाद मौर्य व‍िधायक हैं। स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में भाजपा छोड़कर सपा ज्‍वाइन क‍िया था। स्‍वामी प्रसाद मौर्य के समाजवादी पार्टी में जाने के बाद से ही भाजपा इस सीट से क‍िसी बड़े नाम की तलाश में थी। मंगलवार को उसकी यह तलाश पूरी हो गई।

ट्वीट कर दी इस्‍तीफे की जानकारी

आरपीएन सिंह का त्‍यागपत्र देना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। आरपीएन ने ट्वीट कर अपने इस्‍तीफे की जानकारी दी। आरपीएन सिंह कुशीनगर से सांसद भी रह चुके हैं और यहां पर उनका अच्छा प्रभाव है। आरपीएन सिंह का जन्म 25 अप्रैल 1964 को दिल्ली में हुआ था। 2002 में उन्होंने पत्रकार सोनिया सिंह से शादी की। आरपीएन स‍िंह कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे। वर्ष 1996 से 2009 तक विधायक रहने के बाद आरपीएन सिंह कुशीनगर से 15वीं लोकसभा सदस्य बने। 16वीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के राजेश पाण्डेय ने उन्हें हरा दिया था। आरपीएन के पिता कुंवर सीपीएन सिंह भी कुशीनगर से सांसद थे। वह 1980 में इंदिरा गांधी कैबिनेट में रक्षा राज्यमंत्री भी रहे।

त्‍यागपत्र में यह ल‍िखा

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए इस्तीफे में आरपीएन स‍िंह ने लिखा है कि आज देश में हम अपने महान गणराज्य के गठन का जश्न मना रहे हैं। इस अवसर पर मैं भी अपनी राजनीतिक यात्रा में एक नया अध्याय शुरू करता हूं। जय हिंद।

जीत की हैट्र‍िक लगा चुके हैं आरपीएन

पडरौना विधानसभा सीट पर कांग्रेस से आरपीएन स‍िंह ने हैट्रिक लगाई तो स्वामीप्रसाद मौर्य ने भी इस इतिहास को दोहराया। चुनाव से ठीक पहले मौर्य के पाला बदलने के बाद भाजपा से टिकट चाहने वालों फेहरिस्त लंबी तो हुई है, लेकिन पार्टी के सामने प्रत्याशी के कद को लेकर संकट दिख रहा है। कुशवाहा बिरादरी भाजपा का परंपरागत वोट

माना जाता है, लेकिन 2009 के उपचुनाव और 2012 के विधानसभा चुनाव में मौर्य के इस सीट पर लडऩे से यह वोट उनके साथ चला गया। स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2017 में भाजपा का दामन थामा था, तब फिर इस समाज का वोट भाजपा के खाते में आया।

वर्ष पार्टी विधानसभा सीट

1951 सोशलिस्ट पार्टी -रामसुभग (पडरौना पश्चिमी)

1957 प्रजा सोशलिस्ट पार्टी- बृजनंदन (पडरौना पश्चिमी)

1962 कांग्रेस – मंगल उपाध्याय (पडरौना पश्चिमी)

1967 कांग्रेस -चंद्रदेव तिवारी (पडरौना सदर)

1969 भारतीय क्रांति दल- सीपीएन स‍िंह (पडरौना सदर)

1974 भारतीय क्रांति दल- पुरुषोत्तम कौशिक (पडरौना सदर)

1977 जनता पार्टी- पुरुषोत्तम कौशिक (पडरौना सदर)

1980 कांग्रेस – बृजकिशोर (पडरौना सदर)

1985 लोकदल – बालेश्वर यादव (पडरौना सदर)

1989 भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – असगर (पडरौना सदर)

1991 भारतीय जनता पार्टी – सुरेन्द्र शुक्ल (पडरौना सदर)

1993 समाजवादी पार्टी- बालेश्वर यादव (पडरौना सदर)

1996 कांग्रेस -कुंवर आरपीएन स‍िंह (पडरौना सदर)

2002 कांग्रेस -कुंवर आरपीएन स‍िंह (पडरौना सदर)

2007 कांग्रेस -कुंवर आरपीएन स‍िंह (पडरौना सदर)

2009 बहुजन समाज पार्टी – स्वामी प्रसाद मौर्य (पडरौना सदर)

2012 बहुजन समाज पार्टी – स्वामी प्रसाद मौर्य (पडरौना सदर)

2017 भारतीय जनता पार्टी – स्वामी प्रसाद मौर्य (पडरौनाना सदर)।

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