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उषा अर्घ्य के साथ छठ महापर्व का हुआ समापन…

आस्था का महापर्व छठ के चार दिवसीय इस अनुष्ठान के तीसरे दिन यानी 30 अक्टूबर को भगवान भास्कर को संध्या में पहला अर्घ्य अर्पित किया जाएगा, जबकि 31 अक्टूबर को छठ व्रती सूर्योदय के समय भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगी. जिसके बाद पारण के साथ छठ महापर्व का समापन किया जाएगा.

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देशभर में छठ के महापर्व का आज समापन हो गया. तीन दिन के इस त्योहार के आखिरी दिन महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया. सूर्य को अर्घ्य देने के साथ के साथ ही इस महापर्व का समापन हो गया.

छठ पूजा में सूर्य भगवान और माता छठी की पूजा की जाती है. छठ पर्व में महिलाएं 36 घंटे का व्रत रखती हैं. इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. छठ का पर्व साल में दो बार आता है. छठ की शुरुआत 28 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ हुई थी. छठ का ये पर्व संतान की सुख समृद्धि, अच्छे सौभाग्य और सुखी जीवन के लिए रखा जाता है. साथ ही यह व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए भी रखा जाता है.
ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से तेज, आरोग्यता और आत्मविशवास की प्राप्ति होती है. दरअसल, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रह को पिता, पूर्वज, सम्मान का कारक माना जाता है. साथ ही छठी माता की अराधना से संतान और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है. इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह पर्व पवित्रता का प्रतीक है.

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