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लखनऊ। हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारे को अपने आंचल में समेटे नवाबी काल के ऐतिहासिक कतकी मेले की शुरुआत मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा पर होना था, लेकिन ठेकेदार की ओर से निर्धारित 2.93 करो़ड़ की धनराशि जमा नहीं की गई जिससे मेला नहीं लग सका। लखनऊ का यह ऐसा पहला मेला है जहां हिंदुओं के साथ मुस्लिमों को भी इसका पूरे साल इंतजार रहता है। पहले दिन लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ा।

ठेकेदार ने जमा नहीं किए पूरे रुपये
पांच नवंबर की शाम को मांगी गई निविदाएं खोली गई थी। सबसे अधिक बोली लगाने वाले को दो दिन के अंदर पूरा 2.93 करोड़ रुपये जमा करना था। ठेकेदार की ओर से मात्र एक करोड़ ही जमा किए गए। 45 दिन के इस मेले में मिट्टी के काले रंग के बर्तन मिलते हैं, जिसका लोगों को पूरे साल इंतजार रहता है।