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अरे वाह! चांद पर है ऑक्सीजन, रोवर प्रज्ञान ने कई अन्य अहम तत्वों को भी खोजा, ISRO ने पूरी दुनिया को दी गुड न्यूज

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Chandrayaan 3 Mission Latest News: चंद्रयान-3 रोवर ने चांद की सतह पर ऑक्सीजन की पुष्टि की है। इसके अलावा चंद्रमा की सतह पर एल्युमीनियम (Al), सल्फर (S), कैल्शियम (Ca), आयरन (Fe), क्रोमियम (Cr) और टाइटेनियम (Ti) की मौजूदगी का भी का खुलासा हुआ है। चांद की सतह पर मैंगनीज (Mn) और सिलिकॉन (C) की मौजूदगी का भी पता चला है।

हाइलाइट्स

दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर, अल्मुनियम, कैल्सियम, आयरन का भी पता चला

दक्षिणी ध्रुव पर क्रोमियम, टाइटैनियम, मैगनीज, सिलिकॉन भी मौजूद है

इसरो ने कहा, चांद की सतह पर हाइड्रोजन की खोज अभी जारी है

नई दिल्ली । चंद्रयान-3 के चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग के बाद ISRO ने पूरी दुनिया को एक और बड़ी गुड न्यूज दी है। इसरो ने बताया ने बताया है कि चंद्रयान के रोवर प्रज्ञान ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर, अल्मुनियम, कैल्सियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटैनियम, मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का पता लगाया है।

चांद की सतह पर हाइड्रोजन की खोज जारी है। इसरो की यह जानकारी पूरी दुनिया के लिए बड़ी खुशखबरी है। चांद के साउथ पोल पर आजतक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। मिशन चंद्रयान-3 के तहत भारत चांद के साउथ पोल के रहस्यों को दुनिया के सामने उजागर कर रहा है। 23 अगस्त को भारत ने चांद के साउथ पोल पर इतिहास रचा था। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से लैस चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर सफल लैंडिंग हुई थी।

ISRO ने मंगलवार को कहा कि चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान पर लगे एक उपकरण ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सतह में गंधक होने की स्पष्ट रूप से पुष्टि की है। इसरो ने यह भी कहा कि उपकरण ने उम्मीद के मुताबिक अल्मुनियम, कैल्शियम, लौह, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता लगाया है। इसरो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘वैज्ञानिक प्रयोग जारी हैं…रोवर पर लगे लेजर संचालित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) उपकरण ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सतह में गंधक होने की स्पष्ट रूप से पुष्टि की है।’ बेंगलुरु में स्थित इसरो के मुख्यालय ने कहा, ‘उम्मीद के मुताबिक एल्युमीनियम, कैल्शियम, लौह, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता चला है। हाइड्रोजन की तलाश जारी है’ एलआईबीएस उपकरण को इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम्स (एलईओएस)/इसरो, बेंगलुरु की प्रयोगशाला में विकसित किया गया है।

इससे पहले इसरो ने सोमवार को चौंकाने वाली जानकारी दी थी। इसरो ने बताया था कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत भेजा गया ‘रोवर’ प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर अपनी जगह के ठीक आगे चार मीटर व्यास के एक गड्ढे के करीब पहुंच गया, जिसके बाद उसे पीछे जाने का निर्देश दिया गया। इसरो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि यह अब सुरक्षित रूप से एक नए मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि ’27 अगस्त को रोवर चार मीटर व्यास के एक गड्ढे के नजदीक पहुंच गया, जो इसकी अवस्थिति से तीन मीटर आगे था। इसने कहा, ‘रोवर को पीछे जाने का निर्देश दिया गया।’ अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, यह अब एक नए मार्ग पर आगे बढ़ रहा है।

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