
अयोध्या। करीब पांच शताब्दी के संघर्ष के बाद रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण और उसके केंद्र में प्रस्तावित गर्भगृह का निर्माण रामभक्तों के स्वर्णिम युग के आरंभ से कम नहीं है। इस मौके पर एक-एक क्षण को वे अपनी आांखों से लेकर हृदय तक में समाहित कर लेते प्रतीत हो रहे थे। गर्भगृह की प्रथम शिला रखने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आगमन बुधवार की सुबह के 9:30 बजे तक होता है और तब तक राम मंदिर से गहन सरोकार रखने वालों की पांत उस रामजन्मभूमि के इर्द-गिर्द सन्नद्ध हो चुकी होती है, जिसकी मुक्ति के लिए सदियों तक संघर्ष चला और पीढ़ियों ने बलिदान दिया।
यद्यपि गर्भगृह की प्रथम शिला स्थापित करने से पूर्व मुख्यमंत्री कुछ चुनिंदा लोगों के साथ घंटा भर से अधिक समय तक पूजन में लीन होते हैं और इस क्षण के साक्षी रामनगरी के प्रतिनिधि संत पूरी संजीदगी से पूजन की एक-एक प्रक्रिया को आत्मस्थ कर रहे होते हैं। मध्याह्न की दस्तक के साथ पूजन की पूर्णाहुति होती है और मुख्यमंत्री गर्भगृह की पश्चिमी दीवार के रूप में पूर्व संध्या से ही स्थापित शिला पर नैवेद्य अर्पित करते हैं। संतों को भी इस दिन का इंतजार है और वे गर्भगृह का निर्माण आरंभ होने की बेला में कोई चूक नहीं करना चाहते हैं। सभी की निगाहें उस शिला पर केंद्रित होती हैं, जिसका पूजन मुख्यमंत्री कर रहे होते हैं।
पूजन से मुख्यमंत्री भी आह्लादित नजर आते हैं और अगले पल बिना शब्दों के और मात्र इशारों से आह्लाद का आदान-प्रदान होता है। राम मंदिर जैसे आस्था के शीर्षस्थ केंद्र से युक्त रामकोट वार्ड के पार्षद एवं बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेशदास कहते हैं कि रामनगरी जिस गौरव की हकदार रही है, अब उसे वह मिल रहा है और इन क्षणों का साक्षी बनना सुदीर्घ साधना से सिद्धि की प्रक्रिया का हिस्सेदार बनना है। यद्यपि यह स्वर्णिम यात्रा का प्रारंभिक चरण है।
गर्भगृह के निर्माण की शुरुआत और मुख्यमंत्री के लौटने के बाद कहीं अधिक निश्चिंतता का अनुभव कर रहे रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय विश्वास व्यक्त करते हुए कहते हैं कि अगले वर्ष एक जून तक न केवल गर्भगृह का निर्माण पूर्ण कर लिया जाएगा, बल्कि 2023 के अंत तक राम मंदिर के संपूर्ण प्रथम तल का निर्माण कर लिया जाएगा। 2024 की मकर संक्रांति के पवित्र अवसर पर गर्भगृह में रामलला की प्रतिष्ठा करा दी जाएगी। 380 फीट लंबा, 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा मंदिर स्वयं में भव्यता का पर्याय है। जबकि प्रदक्षिणा पथ और कुछ अन्य उप मंदिरों को समाहित करता हुआ इसका परकोटा आठ एकड़ भू क्षेत्र को घेरेगा। वहीं यात्री सुविधा केंद्र तथा सरयू के भूगर्भीय प्रवाह से बचाव के लिए बनने वाली रिटेनिंग वाल शामिल करने पर मंदिर की परिधि 18 एकड़ तक विस्तृत हो जाएगी।
रामजन्मभूमि परिसर के शेष करीब 60 एकड़ भूमि पर सांस्कृतिक उपनगरी का निर्माण प्रस्तावित है, जिसके बारे में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि के अनुसार यह उपनगरी विश्व की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर विकसित की जानी है। संभावना के इस समीकरण के साथ आह्लाद के शिखर का स्पर्श कर रहे गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत सिंह एवं आचार्य पीठ तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी कहते हैं, निकट भविष्य अयोध्या पर्यटन और संस्कृति की राजधानी के गौरव से विभूषित होगी।