
अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड आस्टिन ने कहा है कि रूस से सैन्य उपकरणों की खरीद भारत के हित में नहीं है। राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन चाहता है कि भारत, रूस पर सैन्य उपकरणों की निर्भरता कम करे। वार्षिक रक्षा बजट पर संसदीय सुनवाई के दौरान मंगलवार को हाउस आर्म्ड सर्विस कमेटी के सदस्यों से आस्टिन ने कहा, ‘हम भारत के साथ काम करना जारी रख रहे हैं, ताकि वे समझ सकें कि यह उनके हित में नहीं है.. हमें विश्वास है कि रूसी सैन्य उपकरणों में निवेश भारत के हित में नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी इच्छा है कि वे जिन उपकरणों की खरीद कर रहे हैं या खरीदना चाहते हैं, उनमें कमी लाएं।’
रक्षा मंत्री आस्टिन सांसद जो विल्सन के सवाल का जवाब दे रहे थे। विल्सन संसद में भारत के मित्र माने जाते हैं, लेकिन उन्होंने कुछ अन्य सांसदों की तरह ही यूक्रेन पर रूसी हमले के मामले में भारत के तटस्थ रहने के फैसले की आलोचना की है। विल्सन ने कहा, ‘हमारा अहम सहयोगी व दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत, अमेरिका के बजाय रूसी हथियार प्रणाली को चुनकर क्रेमलिन को प्राथमिकता दे रहा है। हम विदेशी सैन्य उपकरण बिक्री कार्यक्रम के तहत ऐसे किस हथियार प्लेटफार्म की पेशकश कर सकते हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा विकसित हो.. भारतीय नेता रूस को खारिज कर दें और समान प्रकृति के लोकतंत्र के साथ रिश्ते प्रगाढ़ करें।’
आस्टिन ने कहा कि अमेरिका के पास दुनिया की सबसे बेहतर व उन्नत हथियार प्रणाली उपलब्ध है। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास हथियारों की लंबी श्रृंखला है, जिसे हम भारत को उपलब्ध करा सकते हैं।’ सांसद विल्सन ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि आप भारत के महान लोगों के साथ काम करना जारी रखें। अगर बिक्री संबंधी कुछ प्रतिबंधों को हटा दिया जाए तो वे बहुत मजबूत साझेदार साबित हो सकते हैं।’
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी रक्षा विभाग ने सोमवार को कहा था कि भारत द्वारा सैन्य उपकरणों की खरीद में विविधता लाने के प्रयासों से वह उत्साहित है। पेंटागन के प्रेस सचिव जान किर्बी ने संवाददाताओं से कहा था कि अमेरिका, भारत की जरूरतों के संदर्भ में संवाद जारी रखेगा।