अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को दिखाया आईना, जानें अर्थव्यवस्था को लेकर क्या की टिप्पणी

इस्लामाबाद। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने पाक की खस्ताहाली को एकबार फिर उजागर कर दिया है। आइएमएफ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कमजोर करार दिया है। आइएमएफ ने कहा है कि संरचनात्मक सुधारों के कार्यान्वयन में देरी और बाहरी खातों पर बढ़ते असंतुलन के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर बनी हुई है।

पीआइटी के स्लैब और दरों को बढ़ाने को कहा

आइएमएफ से मिली आधिकारिक जानकारी के अनुसार, उसने इन सब को देखते हुए पाक को व्यक्तिगत आयकर (पीआइटी) के सुधार पर गति बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया है। आइएमएफ ने पीआइटी के स्लैब और दरों को बढ़ाने की मांग की है, जिसका पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने पिछले बजट 2021-22 में विरोध किया था।

महंगाई में होगा इजाफा

इस बीच आइएमएफ ने महंगाई दर 9.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। आइएमएफ ने साथ ही चालू वित्त वर्ष के दौरान सामान्य और सरकार द्वारा गारंटीकृत ऋण भी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 86.7 प्रतिशत तक चढ़ने का अनुमान लगाया है। जानकारी के अनुसार पाक के सकल घरेलू उत्पाद का आकार भी रुपये और डॉलर के संदर्भ में बढ़ा है और 347 बिलियन अमरीकी डालर पर पहुंच गया है।

आईएमएफ से एक अरब डॉलर के ऋण की मंजूरी

बता दें कि आईएमएफ ने बीते दिन ही पाकिस्तान के छह अरब डॉलर के रुके हुए कार्यक्रम की छठी समीक्षा को पूरा करने की मंजूरी दी है। इसके साथ ही आईएमएफ ने नकदी की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान को करीब एक अरब डॉलर के ऋण की एक किश्त तत्काल देने को मंजूरी दी है।

अब केवल दो समीक्षाएं लंबित

गौरतलब है कि ईएफएफ के तहत अब केवल दो समीक्षाएं लंबित हैं, सातवीं समीक्षा अप्रैल 2022 में होने की उम्मीद है जबकि आठवीं समीक्षा बजट 2022-23 की घोषणा के बाद पूरी की जाएगी। समीक्षा के पूरा होने से अधिकारियों को विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 750 मिलियन (लगभग 1 बिलियन अमरीकी डालर) के बराबर आकर्षित करने की अनुमति मिलती है। दरअसल, पाकिस्तान और आईएमएफ ने वर्ष 2019 में तीन साल की विस्तारित फंड सुविधा के तहत आर्थिक नीतियों पर एक करार किया था। इस करार के तहत पाकिस्तान को 39 महीने की अवधि के लिए लगभग छह अरब डॉलर दिए जाने हैं।

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